अहोई अष्टमी व्रत कथा: Ahoi Ashtami Vrat Katha In Hindi PDF Download

अहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे माताएँ अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए मनाती हैं। यह व्रत विशेष रूप से भारत के उत्तरी हिस्सों में मनाया जाता है। इसे कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन को “अहोई आठे” के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन माताएँ सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं। ऐसा माना जाता है कि अहोई माता बच्चों की रक्षा करती हैं और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन की मुख्य कथा अहोई अष्टमी व्रत कथा है, जो पूजा के समय सुनाई जाती है। इस कथा में मां के प्यार और बलिदान की कहानियाँ होती हैं, जो हमें सिखाती हैं कि माता के आशीर्वाद से हर मुश्किल हल हो सकती है।

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Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF File Details

File NameAhoi Ashtami Vrat Katha
File CategoryReligious
Pages In PDF07
File Size1 MB
LanguageHindi
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अहोई अष्टमी व्रत की कहानी

अहोई अष्टमी की कहानी एक मां से जुड़ी है, जिसने गलती से मिट्टी खोदते वक्त एक छोटे से शावक को मार दिया था। इस गलती से वह मां बहुत दुखी हो गई और खुद को दोषी मानने लगी। अपने पाप का प्रायश्चित करने के लिए, उसने व्रत रखा और अहोई माता की पूजा की। उसकी भक्ति से खुश होकर, माता ने उसे माफ कर दिया और उसके बच्चों को लंबी उम्र का आशीर्वाद दिया।

तब से, महिलाएँ इस व्रत को करती हैं और अहोई माता से अपने बच्चों के सुख और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। यह व्रत बहुत शक्तिशाली माना जाता है, और कई माताएँ इस व्रत के चमत्कारों की कहानियाँ सुनाती हैं।

अहोई अष्टमी पूजा विधि

  1. व्रत: माताएँ सुबह जल्दी उठकर व्रत की शुरुआत करती हैं। वे दिनभर कुछ भी नहीं खाती-पीती हैं और रात में तारे निकलने के बाद ही व्रत तोड़ती हैं।
  2. पूजा की तैयारी: शाम को अहोई माता की तस्वीर दीवार पर लगाई जाती है या कागज पर बनाई जाती है। माता को विशेष भोग, फल, और मिठाई अर्पित किए जाते हैं।
  3. व्रत कथा सुनना: पूजा के दौरान अहोई अष्टमी व्रत कथा सुनी जाती है। यह कथा व्रत का महत्व बताती है और माता के आशीर्वाद से बच्चों की रक्षा का संदेश देती है।
  4. तारों को जल अर्पण: जब तारे निकलते हैं, माताएँ तारों को जल अर्पित करती हैं और अपने बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।
  5. परिवार के साथ समय: व्रत तोड़ने के बाद, परिवार के साथ बैठकर भोजन किया जाता है और इस दिन को खुशी के साथ मनाया जाता है।

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