कनकधारा स्तोत्रम् एक बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली प्रार्थना है जो आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है। इसे देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए गाया जाता है। इस स्तोत्र के पाठ से जीवन में सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
Book PDF File Details
File Name | कनकधारा स्तोत्र |
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File Category | Religious PDF |
File Size | 2.23 MB |
Language | Hindi |
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कनकधारा स्तोत्रम् का महत्व
कनकधारा स्तोत्रम् का अर्थ है ‘सोने की धारा’। यह स्तोत्र इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि माना जाता है कि जब इसे सच्चे मन से पढ़ा जाए, तो यह व्यक्ति के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाता है। इसके पाठ से धन की समस्या समाप्त होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
कनकधारा स्तोत्रम् की उत्पत्ति की कहानी
यह कहानी तब की है जब आदि शंकराचार्य ने एक गरीब महिला को देखा जो भूखी थी और जिसके पास भोजन के लिए कुछ भी नहीं था। महिला ने उन्हें केवल एक सूखी अमला (गूंदा) दी। शंकराचार्य ने उसकी मदद के लिए देवी लक्ष्मी से प्रार्थना की और देवी इतनी प्रसन्न हुईं कि उन्होंने महिला के घर को सोने से भर दिया। इसी घटना के कारण इस प्रार्थना को ‘कनकधारा’ नाम मिला।
कनकधारा स्तोत्रम् के लाभ
- धन और समृद्धि: इसे पढ़ने से देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे धन की प्राप्ति होती है।
- सुख-शांति: इसे नियमित रूप से पढ़ने से मन को शांति और घर में सुख का वातावरण बना रहता है।
- पारिवारिक संबंध: इस स्तोत्र के पाठ से परिवार में एकता और प्यार बढ़ता है।
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