Rajneesh Osho Books PDF: प्रेम है द्वार प्रभु का रजनीश ओशो द्वारा लिखी गई एक अनमोल पुस्तक है। इस पुस्तक में ओशो ने प्रेम को ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता बताया है। ओशो के अनुसार, जब इंसान के दिल में सच्चा प्रेम जागता है, तो वह खुद ही प्रभु की ओर चल पड़ता है। प्रेम में डूबकर इंसान अहंकार और स्वार्थ को भूल जाता है और ईश्वर से जुड़ जाता है।
यह पुस्तक प्रेम, ध्यान और आध्यात्मिक यात्रा के बारे में गहरा ज्ञान देती है। अगर आप इस पुस्तक को पढ़ना चाहते हैं, तो हम इस लेख में आपको प्रेम है द्वार प्रभु का PDF डाउनलोड करने की जानकारी भी देंगे।
Prem Hai Dwar Prabhu Ka Osho Book PDF
File Name | प्रेम है द्वार प्रभु का |
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File Category | Rajneesh Osho Books |
Pages In PDF | 236 |
File Size | 08 MB |
Language | Hindi |
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ओशो और उनकी विचारधारा
ओशो, जिन्हें रजनीश के नाम से भी जाना जाता है, भारत के एक महान आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने जीवन, प्रेम और ध्यान पर गहरा चिंतन किया। ओशो का मानना था कि प्रेम ही वह मार्ग है जो इंसान को प्रभु से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि जब तक इंसान प्रेम को समझ नहीं पाता, तब तक वह जीवन का असली अर्थ नहीं जान सकता।
उनकी शिक्षाएं लोगों को बंधनों से मुक्त करती हैं और उन्हें स्वतंत्र सोच की ओर प्रेरित करती हैं। ओशो ने कहा था कि प्रेम का मतलब केवल एक व्यक्ति से जुड़ना नहीं है, बल्कि यह पूरी सृष्टि से जुड़ने का माध्यम है।
पुस्तक का उद्देश्य
प्रेम है द्वार प्रभु का का उद्देश्य लोगों को यह सिखाना है कि सच्चा प्रेम आत्मा को प्रभु तक कैसे पहुंचाता है। इस पुस्तक में ओशो ने यह समझाया है कि जब दिल में प्रेम भर जाता है, तो जीवन में हर चीज सुंदर लगने लगती है। यह प्रेम केवल किसी व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड से जुड़ने का अहसास कराता है।
ओशो का कहना है कि अगर इंसान अपने दिल को प्रेम से भर ले, तो उसमें ईश्वर की झलक दिखने लगती है। इस पुस्तक में ओशो ने यह भी बताया है कि कैसे प्रेम और ध्यान के माध्यम से इंसान अपने भीतर छुपे प्रभु को महसूस कर सकता है।
प्रेम का महत्व
ओशो ने प्रेम को जीवन का सबसे बड़ा सत्य माना है। उनका मानना है कि जब इंसान सच्चा प्रेम करता है, तो वह अहंकार और स्वार्थ को छोड़कर ईश्वर के करीब पहुंच जाता है। प्रेम में डूबा इंसान किसी को दुःख नहीं पहुंचाता और हर इंसान को सम्मान देता है।
प्रेम के कुछ प्रमुख गुण:
- त्याग और समर्पण: सच्चा प्रेम निःस्वार्थ होता है। इसमें अहंकार का स्थान नहीं होता।
- आत्मा की शुद्धि: प्रेम से इंसान का मन और आत्मा पवित्र हो जाती है।
- ईश्वर से जुड़ाव: प्रेम इंसान को प्रभु के करीब लाता है और उसे जीवन का असली उद्देश्य समझाता है।
प्रेम और ध्यान का संबंध
ओशो ने प्रेम और ध्यान को एक-दूसरे का पूरक बताया है। उनका मानना था कि जब इंसान प्रेम में डूबता है, तो ध्यान अपने आप घटित होता है। प्रेम में रहकर जब इंसान अपनी आंखें बंद करता है, तो वह भीतर की शांति को महसूस करता है।
ओशो ने कहा कि ध्यान का मतलब सिर्फ आंखें बंद करके बैठना नहीं है, बल्कि यह प्रेम में डूबकर अपने भीतर झांकना है। ध्यान से मन शांत होता है और जब मन शांत होता है, तो इंसान अपने भीतर छुपे प्रभु को महसूस कर सकता है।
पुस्तक के मुख्य संदेश
प्रेम है द्वार प्रभु का पुस्तक में ओशो ने कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं, जिनमें से कुछ मुख्य संदेश ये हैं:
- प्रेम का मार्ग अपनाओ: प्रेम ही ईश्वर तक पहुंचने का सबसे सरल रास्ता है। जब इंसान सच्चा प्रेम करता है, तो वह खुद ही प्रभु के द्वार तक पहुंच जाता है।
- अहंकार को त्यागो: प्रेम में अहंकार की कोई जगह नहीं होती। जब इंसान अपने अहंकार को त्याग देता है, तभी वह प्रेम को समझ पाता है।
- स्वयं से प्रेम करो: ओशो का मानना था कि जब इंसान खुद से प्रेम करता है, तभी वह दूसरों से प्रेम कर सकता है। आत्म-प्रेम से ही जीवन में शांति और आनंद आता है।
निष्कर्ष
प्रेम है द्वार प्रभु का ओशो की एक अनमोल पुस्तक है जो प्रेम को ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग बताती है। इस पुस्तक में ओशो ने यह समझाया है कि प्रेम से ही इंसान प्रभु से जुड़ सकता है। अगर आप इस पुस्तक को पढ़ना चाहते हैं, तो हमने इस लेख में प्रेम है द्वार प्रभु का PDF का लिंक भी दिया है।
यह पुस्तक आपको प्रेम, ध्यान और आध्यात्मिक ज्ञान के गहरे रहस्यों से परिचित कराएगी। इसे पढ़कर आप अपने जीवन में प्रेम और शांति का अनुभव कर सकते हैं। तो देर मत कीजिए, PDF डाउनलोड करें और इस अद्भुत यात्रा का हिस्सा बनिए।