Uttar Kand PDF Download in Hindi: उत्तर कांड रामचरितमानस का अंतिम अध्याय है जिसमे प्रभु श्री राम के अयोध्या वापसी का वर्णन है। इस अध्याय में प्रभु के राज्याभिषेक का भी वर्णन है। यदि आप Uttar Kand PDF Free Download करना चाहते है तो आप इस आर्टिकल के माध्यम से कर सकते है।
Uttar Kanda PDF Download Details
File Name | Uttar Kanda PDF Download in Hindi |
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Category | Religious PDF |
Pages In PDF | 152 |
File Size | 11 MB |
Language | Hindi |
Credit | – |
PDF Link | Uttar Kand in Hindi PDF |
About Uttar Kand PDF Download
उत्तरकाण्ड रामायण की कथा का अंतिम अध्याय है, इस अध्याय में श्री राम, सीता, लक्ष्मण जी सम्पूर्ण वानर सेना के साथ अयोध्या लौटने का वर्णन है। अयोध्या में श्री राम जी का भरत जी और अयोध्या वासियो द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। वेदों और भगवान शिव की स्तुति के साथ, राम जी का राज्याभिषेक होता है, राज्याभिषेक के बाद वानर सेना को विदाई दी जाती है। राम ने प्रजा को उपदेश दिया, और प्रजा ने अपनी कृतज्ञता प्रकट की। Uttar Kanda PDF Download को आप डाउनलोड करके पढ़ सकते है , डाउनलोड करने का लिंक इस आर्टिकल मे उपलब्ध कराया गया है।
कुछ समय बीतने के बाद अयोध्या की प्रजा में माता सीता के चरित्र के प्रति आरोप उत्पन्न हुए जिससे प्रभु श्री राम को उनका त्याग करना पड़ा। त्याग के पश्चात माता सीता ने वन प्रस्थान किया जहा वो महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रही। आश्रम में ही उनकी गर्भावस्ता में बारे में ज्ञात हुआ। वन में ही उन्होंने लव और कुश जो जनम दिया और पालन किया। जब लव और कुश बड़े हो गए, तो वे अपनी माँ के लिए न्याय मांगने अयोध्या आए, परंतु प्रजा की इच्छा के अनुसार, सीता को फिर से परीक्षा के लिए बुलाया गया जहा उन्होंने आहत होकर धरती माता के साथ धरती में विलीन हो गईं।
परंतु, फिर प्रजा ने सीता के चरित्र पर आरोप लगाया और राम ने प्रजा की उपेक्षा में सीता का त्याग किया। त्याग के बाद, सीता ने वन में चली गई और महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में निवास किया। उस समय वह गर्भवती थी। जब लव और कुश बड़े हो गए, तो वे अपनी माँ के लिए न्याय मांगने अयोध्या आए, परंतु प्रजा की इच्छा के अनुसार, सीता को फिर से परीक्षा के लिए बुलाया गया। उन्होंने अपनी परीक्षा देकर, धरती माता के साथ धरती में विलीन हो गईं।
काल को दिए गए वचन के कारण Uttar Kand Ramayan प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण जी का त्याग कर दिया। पुत्रो के बड़े हो जाने पर सभी को राज्य का बटवारा करने के पश्चात सभी ने अपने धर्म का पालन करते हुए अपने धाम को प्रस्थान किया।
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