जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा song lyrics PDF in hindi

“जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा” यह गीत भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा है। इस गीत के माध्यम से भारत की समृद्धि, संस्कृति, और देशप्रेम को बहुत सुंदर ढंग से दर्शाया गया है। यह गीत 1966 में रिलीज़ हुई फिल्म “सिकंदर-ए-आज़म” का हिस्सा है, जिसे मोहम्मद रफ़ी जी ने अपनी आवाज़ से सजाया था। इसे कवि प्रदीप ने लिखा था, और संगीतकार हंसराज बहल ने इस गीत को धुन दी थी।

Jaha dal dal par sone ki chidiya lyrics PDF

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गीत का महत्व

यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद के समय में बहुत लोकप्रिय हुआ था। इस गीत ने स्वतंत्र भारत की कल्पना को जनता के दिलों में बसाया और भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत किया। आज भी, जब यह गीत सुनते हैं, तो हमें हमारे देश की विविधता, समृद्धि, और महान इतिहास की याद दिलाता है।

“जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा” सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि यह हमारी भारतीयता, हमारी संस्कृति और हमारे गौरव का प्रतीक है। इस गीत के माध्यम से हम अपनी युवा पीढ़ी को देशभक्ति की भावना से परिचित करवा सकते हैं और उन्हें अपने देश की महानता का एहसास दिला सकते हैं।

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